ज़ीरो बजट खेती का मतलब है किसान जो भी फसल उगाये उसमें किटनाशकों का इस्तेमाल ना हो, आजकल किसान खेती में कम समय में ज्यादा कमाने के लिए फसल में तरह-तरह के फ़र्टिलाइज़र और हानिकारक कीटनाशक इस्तेमाल करते हैं जिससे उन्हें फायदा कम और नुकसान ज्यादा होता है केमिकल कीटनाशक का इस्तेमाल किए बगैर कम जमीन में ज्यादा फसल लेने के लिए सबसे अच्छी तकनीक है.
Zero Budget Kheti Kaise Kare?
जीरो बजट खेती इस तकनीक को अपनाकर भारत में 50 लाख से अधिक किसान कम लागत में अच्छी खेती कर रहे हैं । इसमे जीरो बजट खेती को अपनाने से लोगों को न केवल पौष्टिक भोजन मिलेगा बल्कि हम अपनी धरती व मिट्टी को भी बचाने में सफल रहेंगे। रासायनिक खाद के स्थान पर जानवरो के गोबर से बने खाद का इस्तेमाल करें।। खाद गाय ,भैस के गोबर, मिट्टी तथा पानी से बनाते है। इनका खेत में प्रयोग करने से मिट्टी मे पोषक तत्वो की वृद्धि के साथ- साथ जैविक गतिविधियों का विस्तार होता है।
इस विधि से खेती करने वाले किसान को बाजार से किसी प्रकार की खाद और कीटनाशक रसायन खरीदने की जरूरत नही पड़ती है। गाय से प्राप्त सप्ताह भर के गोबर एवं गोमूत्र से निर्मित घोल का खेत में छिड़काव करना खाद का काम करता है और भूमि की उर्वरकता का ह्रास भी नहीं होता है,इसके उपयोग से गुणवत्तापूर्ण उपज होती ही है वहीं दूसरी ओर उत्पादन लागत लगभग शून्य रहती है ,
फसलों की सिंचाई के लिए पानी एवं बिजली भी मौजूदा खेती- बाड़ी की तुलना में 10% ही खर्च होती है ।एक प्रकार से यह प्राकृतिक खेती कहलाती है। जीरो बजट प्राकृतिक खेती जैविक खेती से भिन्न है तथा ग्लोबल वार्मिंग और वायुमंडल में आने वाले बदलाव का मुकाबला एवं उसे रोकने में सक्षम है इस तकनीक का इस्तेमाल करने वाला किसान कर्ज के झंझट से भी मुक्त रहता है ।
ज़ीरो बजट प्राकृतिक खेती करने के फायदे
जीरो बजट प्राकृतिक खेती तकनीक के जरिए जो किसान खेती करते हैं उन्हें किसी प्रकार के केमिकल और कीटनाशक दवाओं को खरीदने की जरूरत नहीं पड़ते हैं और इस तकनीक में किसान केवल अपने द्वारा बनाई गई चीजों का इस्तेमाल केमिकल की जगह कर सकता है । जिसके चलते इस प्रकार की खेती में कम लागत लगने के कारण उस फसल पर किसानों को अधिक मुनाफा होता है।
ज़ीरो बजट प्राकृतिक खेती हर प्रकार की भूमि व मिट्टी में की जा सकती है । देसी गाय के गोबर एवं गोमूत्र से एक किसान 30 एकड़ जमीन पर जीरो बजट खेती कर सकता है देसी प्रजाति के गोवंश के गोबर एवं मूत्र से जीवामृत घन जीवामृत तथा वीजा मृत बनाया जाता है खेत में इनका उपयोग करने से मिट्टी में पोषक तत्वों की वृद्धि के साथ-साथ जैविक गतिविधियों का विस्तार होता है.
इस विधि के अंतर्गत 90 फ़ीसदी पानी और खाद की बचत होती है गाय के 1 ग्राम गोबर में असंख्य सूक्ष्म जीव होते हैं जो भूमि उपलब्ध तत्वों से फसलों के लिए आवश्यक सभी तत्वों की पूर्ति करते हैं इस पद्धति को अपनाने से गौ संरक्षण को भी बल मिलेगा गाय का भारतीय संस्कृति में बहुत बड़ा महत्व है तथा गाय को माता का दर्जा दिया गया है उत्तर भारत में पाली जाने वाली देसी गाय की मेवाती ,तराई ,गिर ,गंगातीरी व साहिवाल आदि प्रजातियां बजट प्राकृतिक खेती के लिए उपयोग में लाई जाती हैं खेती की इस पद्धति से उत्तर प्रदेश में नमामि गंगे स्वच्छता अभियान को भी बल मिला है जिसने गंगा नदी के किनारे स्थित 26 जनपदों में गंगा किनारे के क्षेत्रों में शून्य बजट प्राकृतिक खेती अपनाने के लिए कृषि विभाग उत्तर प्रदेश द्वारा जागरूक अभियान चलाया गया है।
जीवामृत तैयार करने की विधि
200 लीटर पानी में 10 किलोग्राम ताजा देसी गाय का गोबर ,5 से 10 लीटर गोमूत्र, 2 किलोग्राम गुण ,2 किलोग्राम चने के बेसन, एक मुट्ठी भर मिट्टी का घोल किसी टंकी या ड्रम में बना,लें इसे अच्छी तरह मिलाकर 48 घंटे के लिए छांव में रख दें दिन में दो बार किसी लकड़ी की मदद से की सुई की दिशा में मिश्रण को घोले 48 घंटे बाद जीवामृत उपयोग के लिए तैयार हो जाता है । 1 एकड़ भूमि के लिए 200 लीटर जीवामृत पर्याप्त होता है । जीवामृत का प्रयोग सिंचाई के पानी के साथ करें। छिड़काव के रूप में फसलों पर महीने में दो बार जीवामृत का छिड़काव स्प्रे मशीन द्वारा करें। सावधानियां – प्लास्टिक व सीमेंट की टंकी को छांव में रखें
वीजामृत तैयार करने की विधि-
जब नया पौधा लगाते हैं तो बीजामृत का इस्तेमाल किया जाता है इनके द्वारा जो नए पौधे की जड़े होती है उन में लगने वाली कवक ,मिट्टी से जो बीमारी पैदा होती है , और बीजो की बीमारी आदि से बचा जा सकता है। 5 किलोग्राम ताजा देसी गाय का गोबर , 5 लीटर गोमूत्र ,50 ग्राम चूना, और एक मुट्ठी भर मिट्टी को 20 लीटर पानी में 24 घंटे के लिए रखें दिन में दो बार लकड़ी की मदद से घड़ी की दिशा में इस मिश्रण को घोले । किसी भी तरह की फसल के बीज बोने से पहले बीजा मृत को लगा दीजिए इसके बाद कुछ देर तक इन बीजों को सूखने दें इसके बाद इन्हें जमीन में बोया जा सकता है।
जीरो बजट प्राकृतिक खेती करने के बहुत से फायदे होते हैं ।और यह सेहत के लिए भी अच्छा होता है जीरो बजट नेचुरल फार्मिंग प्राकृतिक संसाधनों पर आधारित होती है केमिकल का प्रयोग नहीं होने की वजह से बीमारी की समस्या भी उत्पन्न नहीं होगी तो अगर आपको खेती करने का यह तरीका पसंद आया है तो आप इसे जरूर अपनाएं।