भारत एक प्रसिद्ध देश है। भारत को बहुत सारी समस्याएं और परेशानियों का सामना करना पड़ता है। ऐसी ही बहुत बड़ी समस्या है देश की “बेरोजगारी”। बेरोजगारी हमारे देश की वह समस्या है जो देश को आगे बढ़ने से रोक रही है। आज की महंगाई ने सब्जी कमरतोड़ रखी है। महंगाई की वजह से परिवार में किसी भी एक व्यक्ति की कमाई से पूरे परिवार की जिम्मेदारी नहीं उठाई जा सकती हैं।
बेरोजगारी पर निबंध – Essay On Unemployment in Hindi
ऐसे में रोजगार तो हर कोई करना चाहता है। लेकिन रोजगार मिल नहीं रहा है।हर व्यक्ति बाजार में प्रचलित मजदूरी दर पर काम तो करना चाहता है लेकिन उसे काम नहीं मिल पा रहा है। और यही कारण है कि आज बहुत लोग बेरोजगार हैं। हर देश में बेरोजगारी की अलग-अलग परिभाषा दी जाती है। बेरोजगारी किसी भी देश के लिए अच्छी बात नहीं है। आज हमारे देश में नौकरी की कमी है यह कहना शायद गलत है। आज लोगों के पास योग्यता है फिर भी लोग बेकार बैठे हैं। यह देश के लिए बहुत ही घनी समस्या है। देश में बेरोजगारी की बढ़ती समस्या पर नियंत्रण पाना सरकार के लिए असंभव सा लगने लगा है।
बेरोजगारी से आप क्या समझते हैं?
बेरोजगारी को हम बेकारी के नाम से भी जानते हैं। बेरोजगारी का अर्थ होता है- वह व्यक्ति जो काम करने योग्य हो चुका है और काम करने की योग्यता भी उसके पास है वह काम के लिए इच्छुक है लेकिन उसके पास काम नहीं है। वह काम के अभाव में इधर उधर लटक रहा है। इसे ही बेरोजगारी कहेंगे। आसान भाषा में कहें तो बेरोजगारी का सीधा संबंध काम और रोजगार का अभाव है।
बेरोजगारी तभी आती है जब किसी देश की जनसंख्या का अनुपात वहां रोजगार के अनुपात से कम होता है। वह लोग जो काम करने योग्य नहीं है उन्हें हम बेरोजगारी में शामिल कर सकते हैं जैसे- बीमार, बूढ़े, बच्चे और विद्यार्थी इत्यादि। जिन लोगों को काम करना पसंद नहीं है या जो लोग काम नहीं करना चाहते हैं उन लोगों को भी बेरोजगारी के श्रेणी में नहीं लिया जाता है।
बेरोजगारी केवल शिक्षित लोगों के लिए नहीं है बल्कि उन लोगों के लिए भी है जो काम करने को इच्छुक रहते हैं। जिनके पास शिक्षा की तो कमी है लेकिन योग्यता कि नहीं वह भी किसी ना किसी काम में निपुण होते हैं उनके पास मेहनत करने का जुनून होता है तो उन लोगों के लिए भी काम का अभाव होना बेरोजगारी की समस्या बन जाए बन सकती है। आज हमारे देश के सामने बेरोजगारी रूप में एक बहुत बड़ी समस्या है। जिसका निवारण करना देश के लिए अति आवश्यक है।
बेरोजगारी के प्रकार
बेरोजगारी कई प्रकार की होती है। नीचे हम कुछ प्रकारों के बारे में बात करेंग। जो निम्न है –
ऐच्छिक बेरोजगारी-
इस बेरोजगारी के अंतर्गत वह लोग आते हैं जो काम होने पर भी अपनी इच्छा से काम नहीं करना चाहते हैं ऐसी बेरोजगारी ऐच्छिक बेरोजगारी कहलाती है। जब बेरोजगारी के आंकड़े का अनुमान लगाया जाता है तब इस बेरोजगारी को शामिल नहीं किया जाता है।
अनैच्छिक बेरोजगारी-
इस बेरोजगारी के अंतर्गत व्यक्ति आते हैं जो बाजार में प्रचलित मजदूरी दर पर काम तो करना चाहते हैं लेकिन कोई काम नहीं मिल पाता। ऐसी बेरोजगारी को अनैच्छिक बेरोजगारी कहते हैं। इसे ही खुली बेरोजगारी भी कहा जाता है।
शिक्षित बेरोजगारी-
इस बेरोजगारी के अंतर्गत वह लोग आते हैं जो लोग शिक्षित तो हैं लेकिन फिर भी बेकार बैठे हुए हैं क्योंकि उन्हें काम नहीं मिल रहा है। अगर उन्हें कोई काम मिलता भी है तो उनकी शिक्षा के अनुसार नहीं होता या फिर उनकी क्षमता से कम होता है। इन व्यक्तियों को अल्प बेरोजगार भी कहा जाता है।
छिपी बेरोजगारी-
यह बेरोजगारी विकसित देशों में ज्यादा लागू की जाती है। छिपी बेरोजगारी शब्द का प्रयोग सबसे पहले श्रीमती जॉन रॉबिंसन ने किया था। इस बेरोजगारी का मतलब होता है किसी कार्य के लिए जितनी व्यक्ति की आवश्यकता है उतनी से अधिक लोग उस कार्य के लिए लगाए गए हैं।
चक्रीय बेरोजगारी
यह बेरोजगारी देश की अर्थव्यवस्था में मंदी आने की वजह से होती है। मंदी की वजह से व्यापारियों के पास माल इकट्ठा हो जाता है और उत्पादन की मात्रा कम हो जाती है जिसके वजह से रोजगार गिरने लगता है और बेरोजगारी उत्पन्न हो जाती है। इसी प्रकार से कुछ और भी बेरोजगारी होती हैं। जो देश के विकास में रुकावट बनी हुई है।
बेरोजगारी का कारण
अंग्रेजों के शासन से पहले भारत के गांव में उद्योगों की स्थिति बहुत ही अच्छी थी। अंग्रेजों द्वारा कच्चा माल ले जाते उसे अपने कारखानों में तैयार करके भारत में उपयोग के लिए भेजे जाने की वजह से ग्रामीण उद्योगों में कमी आने लगी या फिर यूं कहें अंग्रेजों ने ग्रामीण उद्योगों को नष्ट कर डाला। इससे देश तो सुख और समृद्धि को प्राप्त करने लगा लेकिन लोग शोषण के शिकार हो गए लोगों की आर्थिक स्थिति बहुत ही दयनीय हो गई इसके साथ ही देश में असंख्य कारीगरों को अपनी आजीविका खोनी पड़ी।
शिक्षा पद्धति भी बेरोजगारी की एक मुख्य वजह है। आजकल के नौजवान सिर्फ क्लर्क बनना चाहते हैं। आजकल के नौजवान हाथ का काम करने में अपनी बेइज्जती महसूस करते हैं। आजकल के लोग सरकारी नौकरी को ज्यादा महत्व देते हैं लेकिन सरकार इतना ज्यादा सरकारी नौकरी कहां से लाएं कि सबको सरकारी नौकरी दे सके।
बेरोजगारी पर कैसे काबू पाएं
बेरोजगारी को देश से दूर करने के लिए सबसे पहले कृषि को महत्व देना होगा। किसानों को कृषि के लिए यंत्रों का प्रबंध, उत्तम खाद का प्रबंध, उन्नत बीज का प्रबंध और प्रशिक्षण की सुविधाओं का विकास करना होगा।
हालांकि हमारी सरकार ने कृषि के क्षेत्र में महत्वपूर्ण कार्य किए हैं। तथा कृषि को प्रगति के दिशा पर ले आई है। बेरोजगारी की समस्याओं को दूर करने के लिए शिक्षा पद्धति में भी परिवर्तन लाना होगा। हमारी शिक्षा व्यवसाय लक्ष्य के लिए होनी चाहिए। और शिक्षा में लोगों में कार्य शक्ति का विकास कर सके और उन्हें आत्मनिर्भर बनाने में सहायक बने। सरकार अच्छे राष्ट्र के लिए व्यापक और अच्छी तरह की रोजगार नीति अपनाएं तथा अपनी अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाए रखने की कोशिश करें।
निष्कर्ष
बेरोजगारी की समस्या देश के लिए गंभीर तथा जटिल समस्या बनती जा रही है जल्द से जल्द इसे रोकने का उपाय नहीं किया गया तो यह एक विकराल रूप हमारे देश के सामने आ खड़ी होगी।
हमारे सरकार द्वारा बनाई गई योजनाएं हमें यह आशा दिलाती हैं कि इनसे बेरोजगारी की समस्या को कुछ हद तक सुलझाया जा सकता है। हमारे देश की शिक्षित वर्ग और युवा पीढ़ी को अपनी योग्यता का अच्छा प्रदर्शन करना चाहिए ना कि किसी बड़े अवसर की तलाश में बेकार बैठे रहना चाहिए। हमारी सरकार पूरी कोशिश कर रही है कि वह अपने देश के युवक और युवतियों को रोजगार के नए अवसर प्राप्त कर सके।