राष्ट्रीय एकता पर निबंध – Essay On National Integration in Hindi

भारत में अनेक धर्म, जाति, जनजाति, नस्ल और संप्रदाय के लोग रहते हैं। ऐसे में देश में एकता बनाए रखना एक बहुत ही गंभीर विषय है। हमारा देश अपने एकता और अखंडता के लिए प्रसिद्ध है। इसीलिए हमें “राष्ट्रीय एकीकरण” के बारे में विचार करने की आवश्यकता है। राष्ट्रीय एकीकरण का मतलब है राष्ट्र की एकता।

राष्ट्रीय एकता पर निबंध – Long and Short Essay On National Integration in Hindi

राष्ट्रीय एकीकरण वह प्रक्रिया है जो अलग-अलग धर्मों के लोगों के बीच एकता स्थापित करने का काम करती है। और इससे हमारे राष्ट्रीय एकता मजबूत होती है। हमारे समाज में अनेक धर्म, जाति, रंग, रूप और संस्कृति के लोग रहते हैं जो अपनी अपनी प्रथा और परंपरा के अनुसार कार्य करते हैं। ऐसे में उनकी भाषा भी अलग-अलग होती है लेकिन विविधता इस बात की नहीं है विविधता तो इस बात की है कि उनके सोचने और विचार करने का तरीका भी अलग अलग है। ऐसे में राष्ट्रीय एकता एक बहुत ही बड़ा विषय है।

भारत धर्म, भाषा, जाति, जनजाति, नस्ल, क्षेत्र आदि के रूप में एक विस्तृत विभिन्नता वाला देश है। अतः देश के चतुर्दिक विकास एवं संपन्नता के लिए राष्ट्रीय एकता अत्यंत आवश्यक हो जाती है। राष्ट्रीय एकता या एकीकरण की बहुत सारी परिभाषा दी जाती है।

मायरोन वेनर ने कहा- “देश को विभाजित विघ्न उत्पन्न करने वाले आंदोलनों को नाकरना तथा समाज में राष्ट्रीय एवं लोकहित धारणा फैलाना, जो संकीर्ण हितों से परे हो”। राष्ट्रीय एकता कहलाती है।

अर्थात हमारी जो संकीर्ण सोच है यानी जो हम बस अपने हित और भलाई के लिए सोचते हैं। ऐसी सोच का त्याग कर राष्ट्रीय हित के बारे में सोचने और इस लोक हित की भावना को फैलाना। यही हमारे राष्ट्रीय एकीकरण का अर्थ होगा।

डॉ. एस. राधाकृष्णन ने कहा- “राष्ट्रीय एकता ईंट एवं गारे से बन सकने वाला एक घर नहीं है यह एक औद्योगिक योजना भी नहीं है जिसे विशेषज्ञों द्वारा विचार कर लागू किया जा सके। इसके विपरीत एकता एक विचार है जो लोगों के मस्तिष्क में जाना चाहिए। यह एक चेतना है जो विस्तृत रूप से लोगों में जगनी चाहिए”।

अर्थात उन्होंने यह कहा कि जैसे हमारे मस्तिष्क में अपने को श्रेष्ठ बनाने का विचार आता रहता है। चाहे वह जाति के आधार पर हो या धर्म के आधार पर। बस खुद को श्रेष्ठ साबित करना चाहते हैं। ऐसे विचारों को मस्तिक से त्याग कर राष्ट्रीय एकता की भावना अपने मस्तिष्क में जगानी चाहिए। तभी हम राष्ट्रीय एकता के बारे में सोच पाएंगे।

राष्ट्रीय एकता की आवश्यकता

किसी भी देश को विकास के रास्ते पर चलाने के लिए तथा आगे बढ़ाने के लिए उस देश के लोगों के बीच एकता होना अति आवश्यक है। हालांकि हर देश में अलग-अलग धर्म के लोग और जाति के लोग रहते हैं। जो विभिन्न प्रकार की भाषाएं बोलते हैं। सबकी अलग-अलग परंपराएं होती हैं। इन सबके बावजूद देश में एकता होना किसी भी देश के लिए बहुत ही गौरव की बात है।

जहां तक राजनीतिक एकता की बात है। तो देश में उस समय राजनीतिक एकता को देखा गया था। जब अंग्रेजों को भारत छोड़ने के लिए मजबूर किया गया था।  उस समय अंग्रेजों ने पूरे भारत को छिन्न-भिन्न करके रख दिया था। ऐसे में देश की एकता अत्यंत आवश्यक हो गई थी। और हमारे देश में उस एकता का स्वरूप देखने को मिला। और उसी एकता की देन है कि आज हम आजाद हैं। जैसा कि हमारे समाज में कहा जाता है कि एकता में अत्यंत शक्ति होती है।

राष्ट्रीय एकता में अवरोध

हमारे समाज में नागरिकों द्वारा ऐसी कुछ विचार और भावनाएं हैं जो राष्ट्रीय एकता में बाधक बनी हुई है। जैसे हमारे समाज में लोगों द्वारा अपने ही धर्म को श्रेष्ठ मानना। और दूसरे धर्म के लोगों को यह साबित करना कि उनका धर्म ही श्रेष्ठ है। ऐसी बातें और विचार देश में लड़ाई का मुद्दा बन जाते हैं। और यहां हमारे राष्ट्रीय एकता धूल में मिल जाती है।

लोगों द्वारा अपने क्षेत्र को महान बताना। हर कोई उसका स्थान या क्षेत्र को अच्छा साबित करने में लगा हुआ है जहां से वह संबंध रखता है सामाजिक स्तर पर देश के नागरिकों द्वारा इस तरह का भेदभाव देश की राष्ट्रीय एकता में अवरोध उत्पन्न करता है।

निष्कर्ष

राष्ट्रीय एकता देश को उन्नति के रास्ते पर चलाने का एक जरिया है। राष्ट्र और देश में फर्क होता है। देश को हम सीमा से जोड़ते हैं। जबकि राष्ट्र को हम भावना से जोड़ते हैं। राष्ट्र के अर्थ इस देश के लोगों की भावनाओं से है। इसीलिए राष्ट्रीय एकता भी एक भावना है। जो हम सबको अपने मन में जगानी चाहिए। हम सबको अपने मस्तिष्क में बस इतना विचार रखना चाहिए कि हम इस देश के नागरिक हैं। हम सबके अंदर एक ही प्रकार का रक्त बहता है चाहे हम किसी भी धर्म जाति या जन्मजात से संबंध रखते हो। और यही भावना हमारे राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देगी।