मोबाइल की लत पर निबंध – Essay On Mobile Addiction in Hindi

आज हमारा विज्ञान बहुत ही तीव्र गति से तरक्की कर रहा है। और तरह-तरह के यंत्रों का आविष्कार कर रहा है। जो मानव जीवन के लिए अत्यंत उपयोगी साबित हुए हैं। और मानव के जीवन को सरल बनाने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं। ऐसे में एक बहुत ही खास यंत्र जिसके अविष्कार से विश्व भर में क्रांति खारी परिवर्तन देखने को मिल रहा है।

मोबाइल की लत पर निबंध – Long and Short Essay On Mobile Addiction in Hindi

हम बात कर रहे हैं उस यंत्र की जो सबके जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। यानी हम बात कर रहे हैं मोबाइल की। मोबाइल ऐसा उपकरण बन चुका है जिसके बिना शायद मनुष्य अपने जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकता। और आज का समाज पूरी तरह इस पर आश्रित हो चुका है।

लेकिन जिस तरह हर सिक्के के 2 पहलू होते हैं। वैसे ही मोबाइल के भी दो पहलू हैं। मोबाइल का सही उपयोग मनुष्य जीवन में लाभकारी सिद्ध हो रहा है। लेकिन वहीं दूसरी तरफ “मोबाइल की लत” मनुष्य जीवन के भविष्य को बिगाड़ने में भी अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।  लोगों को इस कदर मोबाइल की लत लगी हुई है कि वह घंटो अपना समय मोबाइल पर ही व्यतीत कर देते हैं। यह लत लोगों के सामाजिक और मानसिक समस्याओं का कारण बन जा रहा है।

नोमोफोबिया क्या है?

नोमोफोबिया हम उसको कहते हैं जब किसी व्यक्ति को मोबाइल की लत इस कदर लग जाती है कि मोबाइल ना मिलने पर या कहीं खो जाने पर उसे अधिक चिंता और तनाव होने लगता है। ऐसे व्यक्ति नोमोफोबिया के शिकार होते हैं। कुछ शोधों से यह पता चला है कि विश्व भर में नोमोफोबिया की शिकायत बहुत ही तेजी से बढ़ रही है। मोबाइल की लत इस बीमारी का कारण है। नोमोफोबिया से ग्रस्त व्यक्ति को देखा गया है कि उसे मोबाइल खोलें और गिर जाने के सपने आते रहते हैं ऐसा इसलिए होता है क्योंकि वह दिन भर मोबाइल की चिंता में ही रहता है। ऐसे व्यक्ति जिन्हें नोमोफोबिया की शिकायत होती है वह अपने मोबाइल से 1 मिनट भी दूर नहीं रह सकते। ना मिलने पर उन्हें घबराहट होने लगती है।

मोबाइल की लत का प्रभाव

किसी भी व्यक्ति द्वारा किसी चीज की लत लगना उससे कई सारी समस्याओं  से घेर देता है। इसी प्रकार मोबाइल की लत भी व्यक्ति के सामने कई सारी समस्याएं उत्पन्न कर रही है कुछ खास समस्याओं पर हम प्रकाश डालेंगे।

मोबाइल को लोगों को आपस में जोड़ने और अपने रिश्तो को मजबूत बनाने का एक माध्यम समझा जाता था। लेकिन अब इस माध्यम का स्वरूप बिगड़ चुका है इस माध्यम को लोगों की एक बुरी लत के रूप में माना जाता है।

लोग इस कदर मोबाइल में लीन हो गए हैं उनकी अपने सामाजिक और परिवारिक रिश्तो को भूलते जा रहे हैं। मोबाइल और सोशल मीडिया पर तो उनके हजारों फ्रेंड्स होते हैं लेकिन निजी लाइफ में वह अपने ही परिवार वालों से दूर होते चले जा रहे हैं। लोग एक ही रूम में एक ही साथ बैठे रहते हैं। लेकिन आपस में बातचीत ना करके अपनी अपने मोबाइल पर ही लगे रहते हैं। जिससे आपसी संबंध पर बहुत ही बुरा प्रभाव पड़ता है।

मोबाइल का अत्यधिक प्रयोग हमारे स्वास्थ्य पर बहुत ही बुरा प्रभाव डालता है। मोबाइल का लगातार प्रयोग करने से इससे निकलने वाले रेडिएशन से हृदय रोग की समस्या उत्पन्न हो जाती है। इसके प्रयोग से सर दर्द, नींद ना आना, चिड़चिड़ापन, याददाश्त कमजोर हो जाना और आंखों की रोशनी पर बहुत ही गहरा प्रभाव पड़ता है। और भी बहुत सारी स्वास्थ्य संबंधित समस्याएं उत्पन्न हो ने लगती हैं।

मोबाइल की लत लग जाने से लोग अपने जीवन के दौड़ में पीछे रह जाते हैं। वैसे तो हम टेक्नोलोजी के माध्यम से विकास की ओर बढ़ते हैं जिसमें मोबाइल का महत्वपूर्ण योगदान है क्योंकि सब के पास पढ़ाई और व्यवसायिक आवश्यकता होगी पूर्ति के लिए लैपटॉप और कंप्यूटर नहीं उपलब्ध हो पाता है लेकिन मोबाइल अवश्य रहता है। लेकिन मोबाइल की लत लग जाने से वह अपना सारा समय मोबाइल पर ही नष्ट कर देता है। जिससे वह अपने पढ़ाई और व्यवसाय पर ध्यान केंद्रित नहीं कर पाता है।

मोबाइल की लत लोगों को इस कदर लग चुकी है कि लोग खुद में ही खोए रहते हैं और अपने आसपास के लोगों और रिश्तो को अनदेखा कर रहे हैं जिससे लोगों के बीच दूरियां इस कदर बढ़ चुकी हैं कि जरूरत पड़ने पर कोई किसी की मदद के लिए भी आगे नहीं आता।

निष्कर्ष

मोबाइल हमारे लिए एक उपयोगी उपकरण है। लेकिन किसी भी चीज का प्रयोग करने की एक सीमा निश्चित होती है। अगर हम कोई भी काम सीमा के अंदर रहकर करें तो वह हमारे लिए लाभदायक साबित होती है। लेकिन अगर वही हम सीमा से बाहर करें तो वह हमारे लिए निश्चित रूप से हानिकारक बन जाती है। इसी प्रकार मोबाइल की लत भी हमारे लिए हानिकारक ही है।

मोबाइल का उतना ही इस्तेमाल करें जितना हमारे लिए आवश्यक है। हमें अपने बच्चों को कभी भी मोबाइल की लत लगने के लिए बढ़ावा नहीं देना चाहिए। हमें उन्हें मोबाइल एक निश्चित समय के लिए ही देना चाहिए। अभिभावक होने के नाते य फर्ज बनता है कि हम भी बच्चों के सामने कम से कम मोबाइल का प्रयोग करें। क्योंकि इसका बच्चों पर बहुत ही बुरा प्रभाव पड़ता है।