मजदूर दिवस पर निबंध – Essay On Labour Day in Hindi

पूरी दुनिया में ज्यादातर लोगों ने आजकल आपने देखा होगा श्रम को शर्म का विषय बना दिया है। परिश्रम इस दुनिया में सबसे सस्ता है। लोग श्रम से अपना जी चुराने लगे हैं। और इसे बस मजदूरों और गरीबों के नियती का हिस्सा मान लिया गया है।

जो लोग आर्थिक रूप से सक्षम है उनमें से ज्यादा लोग परेशान नहीं करना चाहते हैं। इनमें से ज्यादा लोग दूसरों के परिश्रम को बेचकर सफलता और पैसा कमाना चाहते हैं। लोगों को शर्म करने में अपनी बेइज्जती महसूस होती है। श्रम का अर्थ सिर्फ सड़कों और भवनों का निर्माण करना ही नहीं है। बल्कि जीवन का निर्माण करना भी है।

इसीलिए एक विशेष दिन बनाया गया है जिससे “श्रम दिवस” के नाम से जानते हैं। जिसे श्रमिक दिवस के रूप में भी जाना जाता है। या केवल भारत में ही नहीं बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मनाया जाता है।

मजदूर दिवस पर निबंध – Long and Short Essay On Labour Day in Hindi

श्रमिक वह लोग हैं जो मेहनत करते हैं और कड़ा परिश्रम करते हैं इसके बाद अपनी जीविका चलाते हैं। और अपने परिवार का पेट भरते हैं। लेकिन हम लोग इनका सम्मान नहीं करते। क्योंकि और उच्च वर्ग के लोगों द्वारा इन्हें छोटा और गरीब समझा जाता है। जो बहुत ही गलत बात है। इनको समाज में मानव प्रतिष्ठा दिलाने के लिए श्रमिक/श्रम दिवस मनाया जाता है।

श्रम दिवस मनाने की शुरुआत 1 मई 1886 से हुई है। पहले मजदूरों से 8 घंटे से ज्यादा काम कराया जाता था लेकिन मजबूरी है वेतन उन्हें केवल 8 घंटे का ही दिया जाता था तो मजदूरों द्वारा इस चीज का विरोध किया गया और जैसा कि सब का एक संगठन या यूनियन होता है वैसे ही मजदूरों के संगठन द्वारा हड़ताल किया गया यह हड़ताल मजदूरों को उनके मेहनत का पूरा मेहरताना दिलाने के लिए किया गया था। यह हड़ताल शिकागो में हेयर मार्केट में किया गया था।

मार्केट में एक बम ब्लास्ट किया गया था जिसे कहा जाता है कि मजदूरों द्वारा किया गया था लेकिन इस बात की पुष्टि नहीं हो पाई। इस ब्लास्ट में 100 से ज्यादा लोगों की जान चली गई और इस जीत से निपटने के लिए पुलिस द्वारा मजदूरों पर गोलियां चला दी गई जिसमें बहुत सारे मजदूरों की मौत हो गई। इन्हीं सारे मजदूरों को याद करने के लिए 1 मई को हर साल श्रमिक दिवस के रुप में मनाया जाता है।

भारत में श्रम दिवस का उत्सव

भारत में श्रम दिवस की शुरुआत भारतीय  श्रमिक किसान पार्टी आफ हिंदुस्तान द्वारा 1 मई 1923 में मुंबई में की गई थी। तभी से हर साल हमारे देश में 1 मई को श्रम दिवस के रूप में मनाते हैं। इस दिन सभी मजदूरों को उनके कामों से छुट्टी दी जाती है।

यह दिन पूरी तरह से मजदूरों के लिए ही होता है। यह दिन सभी मजदूरों को एकजुट करता है और उन्हें उनकी एकता की शक्ति का याद दिलाता है। भारत के साथ-साथ और भी कई देशों में इस दिन मजदूरों की छुट्टी होती है और यह दिन मजदूरों के लिए खास बनाया जाता है। हमारे समाज में ज्यादातर मजदूरों को गरीब और कमजोर समझ कर नजरअंदाज किया जाता है।

और सम्मान नहीं दिया जाता है। यह दिन उन मजदूरों को सम्मान दिलाने के लिए बना हुआ है। श्रम दिवस का दिन मजदूरों को उनके मेहनत और अधिकारों का बोध कराता है। और उसके लिए लड़ने और आवाज उठाने के लिए प्रेरित करता है। इस तरह वह अपने और अपने परिवार वालों के लिए एक बेहतर जीवन बनाने में सफल होते हैं।

निष्कर्ष

दुनिया में अगर कोई चीज सबसे सस्ती है तो वह है श्रम। श्रम का मूल्य लोग बहुत ही छोटा लगाते हैं। जबकि श्रम करना सबके बस की बात नहीं है। श्रमिक अपना श्रम बेचकर न्यूनतम वेतन कमाते हैं। तब जाकर कहीं वह अपने परिवार का पेट भर पाते हैं। और इसी कारण की वजह से श्रम दिवस अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विश्व में मनाया जाता है।

श्रमिक लोग श्रम दिवस जैसा एक खास दिन पाने की योग्यता रखते हैं। हमें अपने आसपास काम करने वाले मजदूरों की सुविधा का ध्यान रखना चाहिए तथा उन्हें सम्मान की नजर से देखना चाहिए। मजदूर को लोग मजबूरी का नाम देते हैं। लेकिन ऐसा कहना गलत है श्रम करने वाला कोई मजदूर जरूरी नहीं है कि मजबूरी में ही श्रम करें। हर कोई परिश्रम से ही अपने जीवन में आगे बढ़ता है। फर्क है बस कुछ चीजों और स्थानों की।