EVM क्या है? EVM मशीन का इतिहास और यह कैसे काम करती है की पूरी जानकारी !

EVM का फुलफॉर्म है ( Electronic voting machine) है।  जिसे ईवीएम भी कहा जाता है इलेक्ट्रॉनिक साधनों का प्रयोग करते हुए वोट डालने या वोटों की गिनती करने के कार्य  को करने में सहायता करती है। ईवीएम को दो यूनिट ऐसे तैयार किया गया है बैलट यूनिट और कंट्रोल यूनिट। दोनों भाग एक 5 मीटर लंबे केबल से जुड़े होते हैं । इन यूनिटों को केबल की सहायता से एक दूसरे में जोड़ा जाता है। ईवीएम में  नियंत्रक के रूप में स्थाई रूप से  सिलिकॉन से बने  ऑपरेटिंग  प्रोग्राम  का इस्तेमाल किया जाता है.

EVM क्या है? EVM Kya Hai

एक बार नियंत्रक का निर्माण हो जाने के बाद  निर्माता सहित कोई भी इसमें  बदलाव नहीं कर सकता है। कंट्रोल यूनिट के  लिए  जिस प्रोग्राम का इस्तेमाल होता है उसे एक माइक्रोचिप में डाला जाता है माइक्रोचिप में डालने के बाद उस प्रोग्राम को ना तो पढ़ा जा सकता है ना ही कॉपी किया जा सकता है और ना कुछ बदला जा सकता है.

चुनाव बंद होने के बाद मतदान अधिकारी क्लोज बटन को दबाकर ईवीएम को बंद कर देता है सॉफ्टवेयर ऐसा है कि ईवीएम के साथ किसी तरह की छेड़छाड़ भी नहीं की जा सकती  है। ईवीएम 6 वोल्ट के  एक साधारण बैटरी से चलता है  जिसका निर्माण  भारत इलेक्ट्रॉनिक्स  लिमिटेड  बैंगलोर  और  इलेक्ट्रॉनिक्स  कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया  लिमिटेड हैदराबाद  के साथ मिलकर किया  है। यह बैटरी से चलता है  जिसके कारण इसे पूरे भारत में  आसानी से उपयोग में लाया जाता है  साथ ही  कम वोल्टेज के कारण ईवीएम से  किसी भी मतदाता को बिजली का झटका लगने का भी डर नहीं रहता है ।

एक ईवीएम में अधिकतम  3840  मतों का रिकॉर्ड किया जा सकता है  एक ईवीएम में  अधिकतम  64 उम्मीदवारों के नाम  अंकित किए जा सकते हैं  एक मतदान इकाई में  16 उम्मीदवारों का नाम अंकित रहता है और एक ईवीएम में ऐसे 4 इकाइयों को जोड़ा जा सकता है यदि किसी निर्वाचन क्षेत्र में 64 से अधिक  उम्मीदवार होते हैं तो मतदान के लिए पारंपरिक  मतपत्र  बॉक्स विधि का प्रयोग किया जाता है ।

ईवीएम मशीन के बटन को एक बार से अधिक दबाना संभव नहीं है क्योंकि मतदान इकाई में किसी उम्मीदवार के नाम के आगे अंकित बटन को एक बार दबाने के बाद मशीन बंद हो जाती है यदि कोई व्यक्ति एक साथ दो बटन दबाता है तो उसका मतदान दर्ज नहीं होता है इस प्रकार ईवीएम मशीन एक व्यक्ति एक वोट के सिद्धांत को सुनिश्चित करता है।  की कंट्रोल यूनिट पीठासीन अधिकारी या मतदान अधिकारी के पास रखी जाती  है बैलटिंग यूनिट को मतदाताओं द्वारा मत डालने के लिए वोटिंग रूम के भीतर रखा जाता है.

ऐसा यह सुनिश्चित करने के लिए किया जाता है कि मतदान अधिकारी अपनी पहचान की पुष्टि कर सकें ईवीएम के साथ मतदान  मतपत्र जारी करने के बजाए मतदान अधिकारी बैलेट बटन को दबाएगा जिससे मतदाता अपना मत डाल सकता है मशीन पर अभ्यर्थी के नाम और प्रतीक की एक सूची उपलब्ध होगी जिसे बराबर में नीले बटन होंगे मतदाता जिस अभ्यर्थी को वोट देना चाहता है उनके नाम के सामने वाले बटन को दबा सकता है।

EVM  मशीन का इतिहास

पहले भारतीय ईवीएम का आविष्कार मई 1980 में “एम बी हनीफा” के द्वारा किया गया था जिसे उसने इलेक्ट्रॉनिक संचालित मतगणना मशीन के नाम से 15 अक्टूबर 1980 को पंजीकृत करवाया था । एकीकृत सर्किट का उपयोग कर एम बी हनीफा द्वारा बनाए गए मूल डिजाइन को तमिलनाडु के 6 शहरों में आयोजित सरकारी प्रदर्शनी में जनता के लिए प्रदर्शित किया गया था।

भारत  में पहली बार ईवीएम मशीन का प्रयोग 1982 में केरल के 70- पारुर विधानसभा क्षेत्र में  शुरू  हुआ था । जबकि 2004 के लोकसभा चुनाव के बाद से भारत में प्रत्येक लोकसभा और राज्य विधानसभा चुनाव में मतदान की प्रक्रिया पूरी तरह से इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन द्वारा ही संपन्न होती है । इस साल देश के सभी मतदान केंद्रों पर 17.5 लाख  ईवीएम का इस्तेमाल हुआ  ईवीएम के साथ ही भारत ई- लोकतंत्र में बदल गया इसके बाद से सारे चुनाव ईवीएम से होने लगे ।

यह  पायलट परियोजना के तौर पर 2014 के लोकसभा चुनाव में 543 में से 8 संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों में मतदाता सत्यापित पेपर ऑडिट  ट्रायल वीवीपीएटी प्रणाली वाले ईवीएम का इस्तेमाल किया गया था। पुरानी  कागजी मतपत्र प्रणाली की तुलना में ईवीएम के द्वारा वोट डालने और परिणामों की घोषणा करने में बहुत ही कम समय लगता है लेकिन ईवीएम के प्रयोग को लेकर भारत के राजनीतिक दलों में एकमत नहीं है भारतीय जनता पार्टी को छोड़कर सभी राजनीतिक दल चाहते हैं कि भारत में लोकसभा और विधानसभा चुनाव मतदान पत्रों के आधार पर कराएं जाएं।

1989 – 1990 में जब मशीनों को खरीदा गया था तो उस समय एक ईवीएम की कीमत ₹5,500  पड़ी थी हालांकि शुरुआत में काफी खर्च करना पड़ा लेकिन बैलट के मुक़ाबले  फिर भी सस्ता है लाखों बैलट की छपाई  उनके भंडारण और परिवहन पर बहुत खर्च करना पड़ता था बैलट के रखरखाव के लिए बड़ी संख्या में कर्मचारियों को तैनात करना पड़ता था और उनको भी वेतन देना पड़ता था यानी कुल मिलाकर बैलट काफी महंगा सौदा है ईवीएम बिजली न होने पर भी काम करती हैं उसके अंदर बैटरी लगी होती है।