मेरी माँ पर निबंध - माँ के प्यार, त्याग और महत्व पर विस्तृत लेख

meri maa essay in hindi
Meri Maa Essay in Hindi: माँ, यह एक ऐसा शब्द है जिसमें संपूर्ण स्नेह, ममता, त्याग, और बलिदान समाहित है। माँ केवल एक शब्द नहीं, बल्कि संपूर्ण सृष्टि का आधार है। ईश्वर ने जब मनुष्य की रचना की, तब उसे यह एहसास हुआ कि वह स्वयं हर जगह उपस्थित नहीं हो सकता, इसलिए उसने माँ को बनाया। माँ का प्रेम निःस्वार्थ होता है। वह बिना किसी स्वार्थ के अपने बच्चों के लिए हर सुख-दुख सहती है और अपनी पूरी जिंदगी उनके नाम कर देती है।

माँ का प्यार और त्याग

माँ की ममता की कोई सीमा नहीं होती। बचपन से लेकर वृद्धावस्था तक माँ का प्यार अपने बच्चों के प्रति एक समान बना रहता है। वह हमें अपने आंचल की छाया में सुलाती है, हमें अपने हाथों से भोजन कराती है, और हमारी हर छोटी-बड़ी जरूरत का ध्यान रखती है। माँ कभी अपने आराम की चिंता नहीं करती, बल्कि वह हमेशा अपने बच्चों की खुशी और सुख के लिए प्रयत्नशील रहती है।

बचपन में जब हम रोते हैं, तो माँ हमें अपनी गोद में लेकर प्यार से चुप कराती है। जब हम बीमार होते हैं, तो माँ हमारी सेवा में कोई कसर नहीं छोड़ती। वह रात-रात भर जागकर हमारे सिर पर हाथ फेरती है, हमें दवाइयाँ देती है, और जब तक हम ठीक नहीं हो जाते, तब तक वह चैन से नहीं बैठती।

माँ का योगदान

माँ हमारे जीवन में सबसे पहला शिक्षक होती है। वह हमें सही और गलत में फर्क करना सिखाती है, हमें अच्छे संस्कार देती है और हमें ईमानदार, परिश्रमी एवं विनम्र बनाती है। एक माँ अपने बच्चे को केवल दुनिया में लाने का ही कार्य नहीं करती, बल्कि उसे सभ्य और सुसंस्कृत बनाने का भी काम करती है।

माँ की गोद बच्चे का पहला विद्यालय होती है। वहीं से वह दुनिया को समझने की कोशिश करता है। माँ उसे बोलना, चलना, और दुनिया के नियमों को समझना सिखाती है। माँ ही हमें यह सिखाती है कि दूसरों के साथ प्रेम और सहानुभूति से कैसे पेश आना चाहिए।

माँ की निःस्वार्थ सेवा

माँ का प्रेम सबसे अनमोल होता है क्योंकि वह निःस्वार्थ होता है। माँ बिना किसी स्वार्थ के अपने बच्चों के लिए दिन-रात मेहनत करती है। वह घर का सारा काम खुद करती है और अपने परिवार की जरूरतों का ख्याल रखती है। कई बार ऐसा होता है कि माँ खुद भूखी रह जाती है, लेकिन वह अपने बच्चों को पहले खिलाती है।

एक माँ के लिए उसका बच्चा ही उसका संसार होता है। जब बच्चा किसी मुसीबत में होता है, तो माँ उसे बचाने के लिए हर संभव प्रयास करती है। माँ अपने बच्चे को किसी भी प्रकार की तकलीफ में नहीं देख सकती।

माँ का धैर्य और सहनशीलता

माँ केवल प्यार ही नहीं, बल्कि धैर्य और सहनशीलता का भी प्रतीक होती है। जीवन में कई कठिनाइयाँ आती हैं, लेकिन माँ उन सबका सामना बड़े धैर्य से करती है। वह अपने परिवार की खुशियों के लिए हर दुःख को सहन कर लेती है।

जब बच्चे छोटे होते हैं, तो वे कई बार शरारतें करते हैं, गलतियाँ करते हैं, लेकिन माँ कभी गुस्सा नहीं होती। वह धैर्यपूर्वक हमें सही राह दिखाती है और हमें अच्छे इंसान बनने की प्रेरणा देती है। माँ अपने बच्चों को सुधारने के लिए प्यार और सख्ती दोनों का उपयोग करती है, लेकिन उसका हर कार्य केवल हमारे भले के लिए होता है।

माँ का महत्व

माँ के बिना जीवन अधूरा है। माँ वह आधारशिला है जिस पर पूरा परिवार टिका होता है। माँ ही वह व्यक्ति होती है जो परिवार के हर सदस्य को एक साथ जोड़कर रखती है। वह परिवार में प्रेम, अपनापन और विश्वास बनाए रखती है।

आज की व्यस्त जीवनशैली में हम माँ के योगदान को अक्सर नज़रअंदाज कर देते हैं। लेकिन यह सच्चाई है कि माँ के बिना जीवन की कल्पना भी अधूरी है। इसलिए हमें हमेशा अपनी माँ का सम्मान करना चाहिए, उन्हें प्यार देना चाहिए और उनकी भावनाओं की कद्र करनी चाहिए।

निष्कर्ष

माँ भगवान का सबसे अनमोल उपहार है। माँ का प्यार, त्याग, और उसकी ममता किसी भी मूल्य से अधिक होती है। हमें माँ के प्रति सदैव आभार व्यक्त करना चाहिए और उनका सम्मान करना चाहिए। हमें यह कभी नहीं भूलना चाहिए कि माँ ने हमें इस दुनिया में लाने के लिए कितने कष्ट सहे हैं और हमारी खुशी के लिए अपना सब कुछ न्योछावर कर दिया है।

इसलिए हमें अपने माता-पिता, विशेष रूप से माँ का सदा आदर करना चाहिए और जीवन भर उनका साथ निभाना चाहिए। माँ का स्थान संसार में कोई और नहीं ले सकता, क्योंकि माँ केवल माँ होती है!

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