दिल में दर्द है, पर जुबां पे कभी कोई नहीं आता,
अकेले में हम हर रोज़ खुद से बातें करते हैं, फिर भी कोई नहीं आता।
दर्द में जीने की आदत सी हो गई है,
अब तो अकेली रहकर ही खुश रहने की तासीर हो गई है।
अकेली हूं, पर किसी से कुछ नहीं कहती,
मेरी तन्हाई, बस मेरी तक़लीफ को समझती है।
छुपा ली है आँखों में एक दर्द भरी मुस्कान,
क्योंकि कोई नहीं समझता, मेरी चुप्प की पहचान।
तनहाई से अब डर नहीं लगता,
अब मुझे किसी की तसल्ली की तलाश नहीं होती।
मैं हर बार फिर से खुद को समेटती हूं,
फिर भी तन्हाई की क़ैद से बाहर नहीं निकलती हूं।
रोने की वजह कोई नहीं देता,
और जब मुस्कुराती हूं तो उसे भी तन्हा छोड़ देती हूं।
ये अकेलापन बस अब मेरा साथी बन चुका है,
हर खुशी में कहीं कमी सा महसूस होता है।
अपनी हंसी को अब दर्द में बदल लिया है,
क्योंकि यही मेरे दिल की सच्चाई है।
दिल की हालत अब कुछ ऐसी हो चुकी है,
तन्हाई में खुशी तलाशने की कोशिश हो चुकी है।
मुझे अकेला पाकर वो खुश हुए हैं,
लेकिन अंदर से मैं हमेशा टूट चुकी हूं।
कुछ नहीं बदलता जब सब कुछ खो जाता है,
अकेला दिल धीरे-धीरे टूट जाता है।
किसी के बिना जीने की आदत सी हो गई है,
अब तो अकेलापन ही मेरा अपना हो गया है।
किसी के पास तो अब वक्त ही नहीं,
फिर भी अकेले में खुद को पूरा महसूस करती हूं।
छोड़ दिया है हर किसी से उम्मीद रखना,
अब तो अपने ही साथ जीने की चाहत रखती हूं।
दिल से चाहने वालों को हमेशा दूर पाया,
अब तन्हाई में जीने की आदत सी हो गई है।
मैं अकेली ही सही, पर अब खुद से बहुत प्यार करती हूं,
उन रिश्तों से कहीं ज्यादा सच्चा रिश्ता निभाती हूं।
ख्वाब थे जिनके हमे, वो अब टूट गए,
और हम अकेले जीने की आदत में बदल गए।
एक वक्त था जब दुनिया में सब कुछ था,
अब अकेलेपन में ढूंढ रही हूं खुद को फिर से।
जो कभी पास थे, वो अब दूर हो गए,
अब मैं अकेले अपने दर्द को संभालने लगी हूं।
मेरी तन्हाई भी अब खुद से बातें करती है,
हर दर्द की कोई वजह नहीं होती, बस इश्क़ खो जाता है।
किसी का सहारा नहीं, फिर भी अपना रास्ता खुद तय किया,
तनहाई में भी हमे कभी अपने आप को खोने का डर नहीं हुआ।
मेरी हंसी को देख कर कोई न जान पाया,
अंदर से मेरा दिल कब टूट चुका था।
अकेले रह कर भी किसी से कुछ उम्मीद नहीं रहती,
सिर्फ अपने दर्द को खुद में समेट कर जीते हैं।
हम नहीं चाहते थे किसी से दूर होना,
पर किसी ने कभी हमें पास नहीं आने दिया।
जो कभी अपना था, वो अब पराया सा लगने लगा,
और मैं अपनी तन्हाई में खो गई।
अकेले रहना कभी आसान नहीं था,
लेकिन अब यही मेरी रोज़ की आदत बन चुकी है।
कभी सच्चे रिश्ते होते थे, अब सब धोखा सा लगता है,
और मेरी तन्हाई ही मेरी सच्चाई बन चुकी है।
किसी ने कभी नहीं पूछा,
कैसे अकेले में जी रहे हैं हम।
खुद को खोने का डर अब नहीं रहा,
क्योंकि मुझे अब अकेले जीने की आदत हो गई है।
कितने ही अच्छे थे हम, लेकिन फिर भी अकेले हो गए,
और हम ये सोचते हैं, क्या यही हमारी तक़दीर थी?
कभी दुनिया के सबसे खुश लोग थे हम,
अब अकेले में सब कुछ अपना सा लगता है।
कितनी बार कोशिश की, फिर भी प्यार नहीं मिला,
और अब हमारी तन्हाई ही हमारी तक़दीर बन गई।
छुपाते हैं अपने आँसू, खुद से ही डरते हैं,
फिर भी दुनिया को अपने खुश रहने का दिखावा करते हैं।
हर एक रिश्ते में दर्द ही मिला,
इस लिए अब अकेले ही रहना बेहतर समझा।
वो कभी पास थे, अब दूर हो गए,
और हम अकेले इन हालातों से जूझने लगे।
दिल से चाहा था, पर कभी न पाया,
और अब अकेले में खुद को संजोने की कोशिश की है।
सबने साथ छोड़ दिया, अब तन्हाई ही सहारा है,
और हम अकेले ही हर दर्द को सहते हैं।
कोई नहीं समझता हमें, हम जो जीते हैं,
हमारी तन्हाई में सब खो जाते हैं।
चुप रह कर जीना तो सीख लिया,
लेकिन तन्हाई से लड़ा कैसे जाए ये नहीं पता।
वो जो कभी पास थे, अब खामोश हैं,
और हम अकेले अपने दर्द में खो चुके हैं।
बिना बताये जीना भी एक कला है,
क्योंकि तन्हाई में जीने की आदत सी हो गई है।
हमारी तन्हाई ही हमारी कहानी बन गई है,
जो कभी समझने की कोशिश करते थे, वो अब हमारे पास नहीं रहे।
अकेले ही जीने की आदत हो गई है,
प्यार की बातें अब सिर्फ यादों तक सिमट गई हैं।
जब लोग हमारी हंसी को देख मुस्कुराते हैं,
तब हमारी आँखों में चुपचाप तन्हाई बसी होती है।
खुद से ही बात करना अब आदत बन गया है,
क्योंकि दूसरों से उम्मीदें अब खत्म हो चुकी हैं।
क्या फर्क पड़ता है अगर हम अकेले हैं,
खुद से प्यार करने की एक अलग दुनिया है।
कभी साथ होते थे, अब दूरी बढ़ गई है,
और हम अकेले अपनी तन्हाई से लड़ने लगे हैं।
खुद में खो जाने का कभी डर नहीं था,
लेकिन अब यही अकेलापन ही मेरा साथी बन चुका है।
किसी ने कभी हमें नहीं समझा,
अब तो अकेले ही अपनी दुनिया में जीने लगे हैं।
मेरी तन्हाई मेरी सबसे बड़ी सच्चाई है,
हर दर्द में छुपी एक कहानी है।